OSHO SACHHI AUR GAHARI PYASH

💧💦💧💦💧💦💧💦💧💦💧

*सच्ची और गहरी प्यास स्वयं परमात्मा तक पहुंचा देती है फिर आप बार-बार गुरु की महिमा बतलाकर क्या हमें पंगु नहीं बना रहे हैं?*

पंगु तुम हो! और ज्यादा पंगु तुम बनाए नहीं जा सकते। अंधे तुम हो, आंख को और ज्यादा बंद करने की कोई व्यवस्था की नहीं जा सकती। 

गुरु की महिमा सुनकर चोट कहां लगती है? अहंकार को बड़ी पीड़ा होती है गुरु की महिमा सुन कर। निरहंकारी तो अहोभाव से भर जाता है। गुरु की महिमा उसके भीतर एक अमृत की वर्षा बन जाती है, लेकिन अहंकारी को बड़ी पीड़ा लगती है। क्योंकि गुरु की महिमा का अर्थ है, तुम्हें मिटना पड़ेगा। 

गुरु का अर्थ है, तुम्हें "न' हो जाना पड़ेगा। जब तक तुम हो, तब तक गुरु न हो सकेगा। गुरु मृत्यु है। वह तुम्हें मिटाएगा, पोंछ डालेगा बिलकुल। इससे घबड़ाहट होती है। इससे गुरु की महिमा सुनकर कहीं न कहीं चोट लगती है। चोट लगती हो, तो गौर से देखना भीतर, अहंकार खड़ा है। और वह अहंकार बड़ा चालाक है, वह बड़े तर्क, बड़ी दलीलें खोजता है। उसी अहंकार ने यह दलील खोज ली है। 

सच्ची और गहरी प्यास स्वयं परमात्मा तक पहुंचा देती है। लेकिन सच्ची और गहरी प्यास पाओगे कहां? अगर होती, तो तुम परमात्मा तक पहुंच गए होते; मेरे पास आने की कोई जरूरत न थी।

कौन तुम्हें बताएगा, कि कौन सी प्यास सच्ची है और कौन सी झूठी? कौन तुम्हें समझाएगा कि कौन सी प्यास गहरी है और कौन सी उथली? कौन तुम्हें जगाएगा कि क्या प्यास है और क्या प्यास नहीं? अगर तुम यह कर ही लेते, तो कितने जन्म तुमने बिताए हैं अब तक, कर क्यों नहीं पाए ?

अकड़! कहीं झुकना न पड़े। किसी से सीखना न पड़े। सीखना इतना पीड़ादायी है, शिष्य होना ऐसा कांटे की तरह चुभता है। क्योंकि शिष्य का अर्थ है झुको, शिष्य का अर्थ है, खुलो; शिष्य का अर्थ है कि किसी और को आने दो, हृदय के सिंहासन पर विराजमान होने दो। वहां अहंकार कब्जा किए बैठा है। वह अहंकार तुम्हें बहुत बातें समझाएगा, तुमसे कहेगा, इसकी क्या जरूरत है; तुम खुद ही तो परमात्मा हो! 

ठीक है यह बात, कि तुम परमात्मा हो। लेकिन इसका तुम्हें अनुभव नहीं है। और जब तक अनुभव न हो, तब तक यह बात दो कौड़ी की है। यह बात सच है कि गहरी प्यास पहुंचा देती है, लेकिन गहरी प्यास हो तब न! गुरु थोड़े ही पहुंचाता है, गहरी प्यास ही पहुंचाती है। लेकिन गुरु गहरी प्यास को जगाता है। गुरु, परमात्मा थोड़े ही दे सकता है तुम्हें। परमात्मा तो तुम्हें मिला ही हुआ है। गुरु केवल तुम्हें जगा सकता है, ताकि तुम वही देख लो, जो कि तुम्हारे भीतर छिपा है। 

और बड़े मजे की बात है कि गुरु तो एक बहाना है। गुरु के बहाने तुम झुकना सीख जाते हो। और किसी दिन गुरु के चरणों में झुके-झुके तुम अचानक पाते हो: गुरु के चरण तो चले गए, परमात्मा के चरण हाथ में हैं। गुरु तो बहाना था, जिसके बहाने तुमने झुकना सीख लिया। जिसने झुकना सीख लिया वह परमात्मा के पास पहुंच जाता है। 

*लेकिन गुरु के बिना तुम झुकना न सीख पाओगे, गुरु के बिना तो तुम अकड़े रह जाओगे।* 

# *पिव पिव लागी प्यास*

🌹 *ओशो*👏👏👏👏👏

Comments

Popular posts from this blog

Osho Prem

OSHO ALL AUDIO HINDI N ENGLISH

OSHO RAM RAS PIYA RE