Osho

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मैं हर संभव प्रयास कर रहा कि
मेरे आसपास जो लोग हैं कैसे उनके पांव मजबूत हो जाएँ ,
कैसे उनकी दृष्टी स्पष्ट हो जाए ।

मैं अपने लोगो को कोई छड़ी नहीं देना चाहता हूँ ।
मैं उन्हें आँखे देना चाहता हूँ ।

और जो लोग मुझसे पूछते  हैं कि मेरा उत्तराधिकारी कौन होगा वे इसलिए पूंछ रहे हैं कि उन्होंने ऐसा ही जाना है कि कोई उत्तराधिकारी बन जाता है । वे चाहते हैं कि मैं स्पष्ट निर्देश छोड़कर जाऊं कि मेरे जाने के बाद ऐसा   करना   और ऐसा न करना ।

मैं अपने लोगों से इतना प्रेम करता हूँ कि भविष्य के लिए उनके जीवन में मैं किसी भी तरह की बाधा खड़ी नहीं कर सकता ।

मैं उन्हें कोई निर्देश नहीं दे सकता । मैं उन्हें आँखे देने का प्रयास कर रहा हूँ ताकि वे स्वयं ही देख सकें कि दरवाजा कहाँ है । मैं उन्हें घर का नक्शा क्यों देकर जाऊं जबकि मैं जनता हूँ कि घर बदलता रहेगा । कल दरवाजा कही और होगा तो वे उससे कैसे निकलेंगे ?
और पिछले पांच हजार साल में यह सिद्ध हो चुका है कि सभी निर्देश , सभी धर्म , सभी नैतिक व्यवस्थाएं असफल रही हैं । कारण सिर्फ इतना कि वे भविष्य के लिए निर्णय लेने की  कोशिश कर रहे थे , जो उनके हाँथ में ही नहीं था । उनकी आकांशा तो अच्छी थी , लेकिन समझ पर्याप्त नहीं थी ।

मैं अपने लोगों को उत्तराधिकार में अपनी स्वतंत्रता अपना जागरण , अपना चैतन्य देकर जाना चाहता हूँ । और हर सन्यासी को मेरा उत्तराधिकारी होना है । कोई जरुरत नहीं कि कोई किसी को नियंत्रित करे । कोई जरुरत नहीं है कि कोई किसी को कहे कि क्या करना है । उन्हें अपनी जिम्मेदारी खुद उठानी होगी ।

तो मुझे तो कोई निर्देश छोड़कर जाने का कभी ख्याल भी नहीं
आता । मुझे तो बस एक ही ख्याल आता है कि जितनी जल्दी मैं अपने लोगो को जीवन के प्रति सुस्पष्ट कर सकूँ , उन्हें जीवन के स्रोत का परिचय करवा सकूँ उतना अच्छा । क्योंकि क्या पता मैं कब चला जाऊं । उसके पहले मेरे लोग इतने सक्षम हो जाएं कि वे आनंद से मुझे विदा दे सकें  ।

और मैं कोई नियम या व्यवस्था छोड़कर नहीं जाऊंगा जिसका उन्हें पालन करना है । वे नियम उन्हें खुद बनाने होंगे ।और उन्हें याद रखना होगा कि ये नियम उन्हें खुद के लिए बनाने हैं , किसी और के या भविष्य के लिए नहीं । उन्हें वही करना होगा जो मैं उनके लिए कर रहा हूँ ।  उन्हें बहुत सजग रहना होगा क्योंकि दूसरो के लिए नियम बनाने का बड़ा आकर्षण होता है , कि भविष्य की पीढियां कही भटक न जाएं ।

किसी भी बंधन में होने से भटक जाना ज्यादा बेहतर है ।
तो मैं कोई व्यवस्था , कोई निर्देश नहीं दे रहा हूँ । मैं केवल एक स्पष्टता , एक समझ, एक चेतना दे रहा हूँ । और उसके लिए जो कुछ भी किया जा सकता है   मैं कर रहा हूँ ।

और मेरी करुणा भविष्य के लिए एक शब्द भी कहने की आज्ञा नहीं देती । मुझे केवल वर्तमान का ख्याल है । और यदि वर्तमान स्वर्णिम हो सके तो उससे पैदा हुआ भविष्य और भी स्वर्णिम होगा ।।
              
🌹❤ Osho ❤🌹
🌹🌹 Zorba The Buddha 🌹🌹

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